नैतिकता (Morality) क्या है ?

 नैतिकता (Morality/Morals)

नैतिकता एक सामाजिक पक्ष है। नैतिकता एक दार्शनिक अवधारणा है, जिसके तहत सही या ग़लत क्या है का निर्धारण किया जाता है। नैतिकता यह निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाता है कि क्या वांछित है और क्या अवांछित।   

नैतिकता एक आन्तरिक पक्ष है, जिसके तहत व्यक्ति स्वयं ही सही या ग़लत का निर्धारण करता है।   इस प्रकार नैतिकता अंतरात्मा की आवाज है।

नैतिकता और कानून, दोनों सामाजिक व्यवस्था  बनाए रखने में अहम भूमिका अदा करती है। कानून एक प्रकार का निर्धारित सामाजिक मानदंड है जो यह बताता है कि ‘क्या करना चाहिए’ और ‘क्या नहीं करना चाहिए’। कानून को मानने के लिए व्यक्ति मजबूर होता है। जबकि नैतिकता स्वैच्छिक एवं व्यक्तिगत रुप है। 

       .... नैतिकता एवं कानून के बेहतर तालमेल से एक बेहतरीन समाज की स्थापना होती है। कानून के क्रियान्वयन में अक्सर नैतिकता की आवश्यकता होती है। परन्तु यह जरूरी नहीं है कि नैतिकता और क़ानून में सदैव सामंजस्य बना रहे। किसी विशेष स्थिति में, जो चिज़ नैतिक रूप से सही हो, पर वह कानूनी  रूप से ग़लत हो भी सकता है।

   कानून और नैतिकता के संबंधों को हम आगे उदाहरण के माध्यम से समझेंगे।

   नैतिकता के संबंध में व्यक्ति के चरित्र का अहम योगदान होता है। एक अच्छा चरित्र वाला व्यक्ति नैतिक मूल्यों को अच्छी तरह समझता है।

आइए, अब नैतिकता को उदाहरण के माध्यम से समझते हैं साथ ही नैतिकता और कानून के बीच संबंधों को भी समझें —

  (1) प्रथम उदाहरण :  मान लीजिए आप एक ग्राम पंचायत के प्रधान (ग्राम प्रधान) हैं और गरीबों के लिए 100 सरकारी घर पास हुए हैं।  घरों की संख्या सौ है, पर गरीब परिवारो की संख्या इससे कहीं अधिक है।

           अब आपको ही यह निर्णय लेना है कि सरकारी घर किसे आवंटित किया जाए। ... बहुत सोच-विचार करने के बाद आप उन लोगों के नाम का लिस्ट बनातें हैं जो अति गरीब हैं और जिन्हें सरकारी घर की सबसे अधिक जरुरत है।

          इस प्रकार, यहां अपने सर्वाधिक जरुरतमंदों को पहले घर देखकर नैतिक रूप से  तो सही कार्य किया है परन्तु संभवतः कानूनन ग़लत। क्योंकि नियम के हिसाब से घर पहले उसे मिलना चाहिए था जिसका नाम सीरियल नंबर में ऊपर हो।

         और इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि जो कार्य आपके नज़र में नैतिक रूप से सही है वह  दूसरों के नज़र में ग़लत भी हो सकता है। यहां आपने सर्वाधिक जरुरतमंदों को घर देकर अपने और उस व्यक्ति के नज़र में सही कार्य किया है। लेकिन आपका यह कार्य उन व्यक्तियों के नज़र में ग़लत है जिसको आपने‌ घर नहीं दिया।

 (2) द्वितीय उदाहरण : मान लीजिए आप एक होस्टल में रहते हों और उस होस्टल का रुल है कि रात 10 बजे के बाद कोई भी केम्पस के बाहर नहीं निकलेगा।

        एक रात आपके किसी अन्य दोस्त ने आपको फोन किया कि उसकी मां अस्पताल में भर्ती है। उनका अभी अभी ओप्रेशन हुआ है और उनके शरीर से बहुत रक्त बह गया है। डॉक्टर ने फौरन रक्त की व्यवस्था करने को कहा है। उसने चारों ओर से पता कर लिया है  और ब्लड बैंक में भी उस ब्लड ग्रुप का रक्त नहीं है जिसकी आवश्यकता है। उसके नज़र में सिर्फ आप ही हैं जो रक्त दे सकते हैं और उसने आपको पूरे विश्वास से फोन किया है।.......

         अब आप दुविधा में पड़ गए हैं। एक ओर आपको होस्टल के रुल्स का ख्याल आ रहा है और दूसरी तरफ आपको यह भी ख्याल है कि फौरन अस्पताल न पहुंचने पर मामला बिगड़ सकता है। अंततः आपने अस्पताल जाने का फैसला किया और होस्टल की दीवार फांदकर आप अस्पताल जा  पहुंचे।

   इस प्रकार,   आपने अस्पताल पहुंचकर नैतिक रूप से सही कार्य किया परन्तु कानूनी रूप से ग़लत। क्योंकि आपने होस्टल का नियम तोड़ा है।

👉इस तरह हम देखते हैं कि नैतिकता और क़ानून में हमेशा सामंजस्य हो यह जरूरी नहीं है।


    



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