One Country Two Systems (एक देश दो प्रणाली)

एक देश दो व्यवस्था (One Country Two Systems) चीन  की एक नीति है जो कि हांगकांग और मकाऊ से संबंधित है।

आपके जानकारी के लिए बता दें कि हांगकांग और मकाऊ दोनों ही क्षेत्र South China Sea में अवस्थित द्वीप (iland) है, और  यह दोनों क्षेत्र चीन का विषेश प्रशासनिक क्षेत्र (Special Administrative Region — SAR) है।

तो आईए, इसके पृष्ठभूमि/background को समझें और यह भी समझें कि Special Administrative Region — SAR क्या है ?

      पृष्ठभूमि (Background)

यूरोपियनों के आगमन से पहले हांगकांग और मकाऊ पर चीन का शासन था। यह दोनों क्षेत्र मुख्य भूमि चीन (mainland china) के कंट्रोल में था।

👉 जब औपनिवेशिक दौर शुरू हुआ तब 1557 में मकाऊ पर पुर्तगालियों ने कब्जा कर लिया।

👉 दूसरी तरफ, प्रथम अफीम युद्ध में हारने के बाद 1842 में हांगकांग पर ब्रिटेन का कब्ज़ा हो गयाा।

  • जापान भी अलग-अलग देशों पर कब्जा करता था रहा था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उसने हांगकांग पर कब्जा कर लिया। परन्तु द्वितीय विश्व युद्ध में हार के हांगकांग जापान के हांथ से निकल गया और चीन के कब्जे में चला गया।
  • आगे चलकर 1898 में ब्रिटेन और चीन के मध्य हुए पेकिंग के दूसरे कन्वेंशन के तहत चीन ने हांगकांग को 99 वर्षों के लिए ब्रिटेन को लीस पर दे दिया। 
  • इधर लीस की अवधि समाप्त हो रही थी, वहीं दूसरी ओर 1980 के दसक के मध्य से ही चीनी सरकार ने दोनों क्षेत्रों (हांगकांग और मकाऊ) के हस्तांतरण के संबंध में ब्रिटेन और पुर्तगाल से बातचीत शुरू कर दी ..... और ‘एक देश दो प्रणाली’ (One Country Two Systems) नीति के तहत इन दोनों क्षेत्रों की स्वायत्तता का सम्मान करने का वादा किया। इस प्रस्ताव को ब्रिटेन और पुर्तगाल ने मान लिया।
  • दिसंबर 1984 को चीन और ब्रिटेन ने Sino-British Joint Declaration (चीन-ब्रिटिश संयुक्त घोषणापत्र) पर हस्ताक्षर किए । फलत: 1 जुलाई 1997 से हांगकांग चीन के नियंत्रण में आ गया।
  • वहीं दूसरी तरफ, मार्च 1987 को चीन और पुर्तगाल ने मकाऊ के प्रश्न पर संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए। फलत: 20 दिसंबर 1999 को मकाऊ चीनी नियंत्रण में आ गया।

   इस प्रकार,  One Country Two Systems के तहत ये दोनों क्षेत्र चीन के नियंत्रण में आ गया और कुछ सेेेवा-शर्तों के साथ  ये दोनों क्षेत्र चीन का Special Administrative Region (SAR) बन गया।  

 ये सेवा-शर्तें (terms & conditions) निम्नलिखित थीं :

  1. इन दोनों क्षेत्रों (हांगकांग और मकाऊ) की अपनी मुद्राएं/करेंसी तथा आर्थिक एवं कानूनी प्रणालियां होंगी परन्तु चीन द्वारा रक्षा एवं विदेशी (कूटनीतिक) मामलों का फैसला किया जाएगा।
  2. इनकी अपनी ‘Mini Constitution/ Basic Law’ होगी, जो कि 50 वर्षों के लिए वैध रहेगी। अर्थात् हांगकांग का संविधान वर्ष 2047 तक वैध रहेगा और मकाऊ का संविधान वर्ष 2049 तक।
      .... परंतु यह स्पष्ट नहीं कििया गया किि इस अवधि के बाद क्या होगा। अर्थात् यह स्पष्ट नहीं किया गया  कि क्रमश: वर्ष 2047 एवं 2049 के बाद इन दोनों क्षेत्रों का स्टेटस क्या होगा।

One Country Two Systems नीति

  • एक देश दो प्रणाली (One Country Two Systems) नीति को पहली बार 1970 के आसपास एक चीनी राजनेता Deng Xiaoping द्वारा प्रस्तावित किया गया था। 
  • इस नीति का उद्देश्य था ‘One Country Two Systems’ के अंतर्गत चीन और ताइवान  को एकजुट करना।   इसके माध्यम से चीन द्वारा ताइवान को उच्च  स्वायत्तता देने काा वादा किया गया था। ........ प्रस्ताव यह था कि चीनी संप्रभुता के अंतर्गत ताइवान अपनी पूूंजीवादी  अर्थव्यवस्था को जारी रख सकेगा  और उसका अपना अलग प्रशासन व्यवस्था होगा। परन्तु  ताइवान ने  प्रस्ताव को   ठुकरा दिया ...... आगे चलकर इसी  नीति को  हांगकांग और मकाऊ पर थोपा गया।

              विवाद (Dispute)

  • चीन अब इन दोनों क्षेत्रों (हांगकांग और मकाऊ) का पूर्ण विलय चाह रहा है, जबकि प्रस्ताव के अनुसार इन दोनों क्षेत्रों की स्वायत्तता एवं स्वतंत्रता को क्रमशः वर्ष 2047 एवं 2049 तक अक्षुण्ण रखना था।
  • ... और प्रस्ताव में यह भी स्पष्ट नहीं किया गया था कि क्या  क्रमशः वर्ष 2047 एवं 2049 के बाद चीन इन दोनों क्षेत्रों का विलय कर लेगा या फिर ये दोनों क्षेत्र (हांगकांग और मकाऊ) इस अवधि के बाद भी स्वतंत्र बने रहेंगे।
  • वहीं दूसरी तरफ, हांगकांग और मकाऊ चीनी नियंत्रण से मुक्ति चाह रहा है और पूर्ण स्वतंत्रता की मांग कर रहा है।

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