विशेष विवाह अधिनियम, 1954 / Special Marriage Act,1954
विशेष विवाह अधिनियम, 1954 क्या है ? यह अधिनियम विवाह के इच्छुक दो पार्टियों को अंतर-धार्मिक एवं अंतर-जातीय विवाह करने का अधिकार देता है। अन्य शब्दों में, यह एक्ट विवाह केे इच्छुक पार्टियों को अपने धर्म एवं जाति से बाहर विवाह करने की आज़ादी देता है। और भी आसान शब्दों में कहें तो, यह अधिनियम दो प्रेमी-युगलों को भागकर शादी करने की आज़ादी देता है। भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो, ... भारतीय समाज में ‘जाति’ एवं ‘धर्म’ को विशेष महत्व दिया जाता है। भारतीय समाज में जाति एवं धर्म ने प्राचीन काल में ही अपनी जड़ें जमा ली थी। इसी समय विवाह भी एक सुस्थापित संस्था (संस्कार) के रूप में स्थापित हो चुका था, जो वर्तमान समय में भी विद्यमान है। अतः लोगों से यह उम्मीद की जाती है कि वे अपने ही धर्म एवं जाति में विवाह करें। इस प्रकार, अपने धर्म एवं जाति से बाहर के विवाह (अंतर-जातीय विवाह) को भारतीय समाज में एक अपराध माना जाता है। परन्तु कभी-कभी ऐसी भी स्थिति उत्पन्न हो जाती है जब लोगों को अपनी धर्म एवं जाति से बाहर विवाह करना पड़ता है। उदाहरण के लिए प्रेमी-युगलों को ले लिया जाए। प्रेम संबंधों म