कार्बन कैप्चरिंग ( Carbon Capturing)
कार्बन कैप्चरिंग, कार्बन के प्रबंधन का एक नया तरीका है। इसे वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने के उद्देश्य से लाया गया था।
इस विधि के तहत, कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) या कार्बन के अन्य रूपों को कैप्चर (capture/ग्रहण) करके उसे लंबे समय तक संग्रहित (store) किया जाता है। अतः यह विधि ‘कार्बन कैप्चरिंग’ कहलाता है। इसे Carbon Capture and Storage (CCS) के नाम से भी जाना जाता है।
इस विधि में औद्योगिक स्थलों, पावर-स्टेशनों एवं सीधे हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को पकड़ लिया जाता है, तदोपरान्त उसे भूमि के नीचे (कार्बन सिंक में) संग्रहित (store) कर दिया जाता है।
इस तरह, जलवायु परिवर्तन एवं ग्लोबल वार्मिंग के सबसे बड़े जिम्मेदार (कारक) कार्बन डाइऑक्साइड के एक बहुत बड़ी मात्रा को सीधे वायुमंडल में मिलने से रोकाा जाता हैै।
इस पकड़े गए कार्बन डाइऑक्साइड को समुद्र में, मृदा/मिट्टी में, वन में, अखननीय खादानों में अथवा विघटित तेल भंडारों* में संग्रहित (store) कर दिया जाता है। इस कारण से इन स्थानों को कार्बन सिंक कहा जाता है।
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