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Showing posts from February, 2021

भारत का ‘No First Use’ नीति / ‘No First Use’ policy of India / पहले उपयोग नहीं नीति

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                    ‘No First Use’ (‘पहले उपयोग नहीं’) का अर्थ है - भारत किसी भी परमाणु क्षमता संपन्न देश पर पहले परमाणु हमला नहीं करेगा। अन्य शब्दों में, भारत तभी अपने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा जब सामनेवाले देश ने पहले परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया हो।  अन्य शब्दों में, भारत अपने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल केवल परमाणु हमले का प्रतिशोध लेने के लिए करेगा। अर्थात्  इस संबंध में भारत कभी भी स्वयं पहल नहीं करेगा।                     भारत की परमाणु नीति : वर्ष 1998 में भारत ने पोखरण में अपना दूसरा परमाणु परीक्षण किया। यह एक सफल परीक्षण था। इस परीक्षण के बाद ही भारत ने खुद को एक परमाणु क्षमता संपन्न देश घोषित कर दिया। भारत के इस कदम से अंतरराष्ट्रीय जगत में खलबली मच गई, विशेषकर पश्चिमी देशों में। परिणामस्वरूप भारत पर कई प्रकार के प्रतिबंध (sanction) भी लगाए गए। अब भारत को एक सख्त परमाणु नीति अपनाने की जरूरत थी। साथ ही साथ भारत ने स्वयं को एक जिम्मेदार देश साबित करने के लिए ‘No First Use’ नीति अपनाई।  भारत की यह नीति अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए जरुरी था ही, साथ ही एशिया क्षेत्र म

भारतीय सशस्त्र बलों (Armed Forces) के नाम

भारतीय सशस्त्र बलों के नाम निम्नवत हैं :      (1)  Indian Army (भारतीय सेना);      (2) Air Force (वायु सेना);      (3) Indian Navy (इंडियन नेवी); इसके अलावा Indian Coast Guard (भारतीय तटरक्षक) को भी सशस्त्र बलों के अंंतर्गत गिना जाता है।

One District One Product scheme / वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट स्कीम / एक जिला एक उत्पाद योजना / एक जनपद एक उत्पाद योजना / ODOP

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  ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’(ODOP) योजना को सबसे पहले 24 जनवरी 2018 में उत्तर प्रदेश  के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अपनेे राज्य के चुनिंदा जिलों के लिए प्रस्तुत किया गया था।         ..... उत्तर प्रदेश के इस योजना के सफलता व अनोखेपन को देखते हुए केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय स्तर पर देश के सभी राज्यों के सभी जिलों के लिए लागू कर दिया। योजना के तहत, जिले के एक  विशिष्टता वाले (specialized) उत्पाद को चिन्हित कर उसके उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा। यह उत्पाद (product) कुछ भी हो सकता है, जैसे – खाने-पीने की चीजें (मिठाईयां, पान-मसाले, धान-चावल इत्यादि), सजावटी वस्तुएं, हस्तशिल्प, कपड़े (साड़ी, चादर, गमछे इत्यादि)।      ..... इस प्रकार, प्रत्येक जिले का अपना एक विशिष्ट उत्पाद होगा, और यही उत्पाद उस जिले का पहचान बनेगा।          ODOP योजना का उद्देश्य : एक जिला एक उत्पाद (ODOP) योजना का उद्देश्य है   जिले के उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ावा देना;  स्थानीय शिल्प-कला संरक्षण एवं विकास करना;  कला को प्रोत्साहन देना; उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार करना; कौशल विकास में सुधार करना, तथा लघ

शबनम-सलीम केस / अमरोहा मर्डर केस

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 शबनम : फांसी की सजा पाने वाली पहली महिला बात है 14 अप्रैल 2008 की जब शबनम नाम की एक लड़की ने अपने प्यार को पाने के लिए और अपने आशिक के बहकावे में आकर अपने पूरे परिवार को मौत के घाट उतार दिया। ये एक ऐसा मामला है जिसे सुनकर हर इंसान का दिल दहल जाएगा, और ऐसे में जब हत्या को एक औरत द्वारा अंजाम दिया गया हो। शबनम उत्तर प्रदेश (UP) के अमरोहा जिले के बावन खेड़ी नामक एक गांव की रहने वाली थी। वह शुरू से ही पढ़ने-लिखने में अच्छी थी । उसने एम.ए (M.A.) किया था। उसके बारे में बताया जाता है वह एक दयालु किस्म की लड़की थी और वह हमेशा दुसरों की मदद किया करती थी।        .....आगे चलकर शबनम को सलीम नाम के एक लड़के से प्यार हो जाता है। परन्तु इस संबंध से शबनम के परिवार वालों को ऐतराज था, चूंकि शबनम के मां-बाप पढ़ें लिखे थे, उसके पिताजी किसी स्कूल में शिक्षक थे जबकि सलीम मात्र 6 या 7 क्लास तक ही पढ़ था। अतः शबनम के परिवार वालों ने इस रिश्ते को ठुकरा दिया।      .... इन दोनों के प्यार में शबनम का परिवार  सबसे बड़ा बाधा बन रहा था, अतः दोनों ने निर्णय लिया कि शबनम के परिवार के सभी लोगों को मौत के घाट उतार दिया

MSP क्या है ?

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     MSP अर्थात् Minimum Support Price ( न्यूनतम समर्थन मूल्य )!      MSP किसी कृषि उपज का एक पूर्व निर्धारित मूल्य (तय मूल्य) होता है। भारत सरकार द्वारा समय-समय पर कुुुछ कृषि उपजों (जैसे- धान, गेहूं, कपास इत्यादि) का MSP की घोषणा करके किसानों को उपज का एक निर्धारित मूल्य देने का आश्वासन दिया  जाता है।     अन्य शब्दों में, MSP वह न्यूनतम कीमत है जिस पर भारत सरकार कृषकों से उनके उपजों को खरीदती है। MSP की घोषणा फसल बुवाई से पहले ही कर दी जाती है। अतः बाद में सरकार MSP में निर्धारित मूल्य से कम कीमत पर उपज को नहीं खरीद सकती।     .... इस प्रकार, सरकार गारंटीकृत न्यूनतम मूल्य एवं सुनिश्चित बाजार प्रदान करके किसानों को हानि (loss) होने से बचाती है। परन्तु, किसान अपने उपजों को किसी और के हाथों बेचने के लिए स्वतंत्र होते हैं।  उदाहरणार्थ - मान लीजिए अगर  सरकार नेे MSP केे तहत गेहूं की कीमत 20 रुपए प्रति किलो  निर्धारित किया है, तो किसान को उसके गेहूं की कीमत कम से कम 20 रुपए प्रति किलो मिलेगा ही, भले ही इस कीमत पर खरीदारी करके सरकार को घाटा हो रहा हो। परन्तु, यदि किसान को पता चले कि अमूख ब

स्टेपल्ड वीजा (Stapled Visa)क्या है ?

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  स्टेपल्ड वीजा (Stapled Visa) के बारे में जानने से पहले वीज़ा के बारे में जानना अति आवश्यक है। Visa एवं Stapled Visa क्या है ? इन दोनों में क्या अंतर है ? जब कोई पासपोर्ट धारक किसी दूसरे देश में जाता है तो वहां के  आव्रजन अधिकारी  द्वारा उस व्यक्ति के पासपोर्ट के एक पन्ने (page) पर एक मोहर (ठप्पा/seal) लगाया जाता है, जो यह प्रमाणित करता है कि पासपोर्ट धारक व्यक्ति यहां वैध रुप से आया है। इसे ही वीज़ा लगाना कहा जाता है। इस वीज़ा में यह उल्लेख रहता है कि बाहर से आया पासपोर्ट धारक इस देश में कितने दिनों तक रहेगा और वह यहां किस उद्देश्य से आया है। वीज़ा में उल्लेखित तारीख के बाद तक उस देश में रुकना अवैध माना जाता है। इस प्रकार, वीज़ा अन्य देशों में आने-जाने, कार्य करने या उस देश से गुजरने की शासकीय (official) अनुमति पत्र है। ... परन्तु, Stapled Visa में अन्य वीज़ा  की तरह पााासपोर्ट के पेेेज पर ठप्पा नहीं लगाया जाता है, बल्कि स्टेेेेप्लर  की सहायता से पासपोर्ट  में एक  अलग अतिरिक्त पेज (extra page) चिपका दिया जाता है। इसी अतिरिक्त पेज  पर पासपोर्ट धारक का विवरण रहता है कि वह यहां कितने

द्विज (Dvija)

  ‘द्विज’ का अर्थ है दो बार जन्म लेना (अर्थात् दोजन्मा)। द्विज शब्द संस्कृत के ‘द्वि’+‘ज’ से बना है। ‘ द्वि’ का अर्थ है दो, तथा ‘ज’ (अर्थात् जायते) का अर्थ है जन्म लेना। अर्थात् जो व्यक्ति दो बार जन्म लेता है वह ‘द्विज ’(दोजन्मा) कहलाता है। प्राचीन काल में द्विज शब्द तीन वर्णों — ब्राह्मण, क्षत्रिय एवं वैश्य से संबंधित था, परन्तु बाद में आगे चलकर यह सिर्फ ब्राह्मण वर्ण तक ही सीमित रह गया।   ‘द्विज’ शब्द की उत्पत्ति का इतिहास जानें बिना इससे संबंधित ज्ञान अपूर्ण तथा भ्रामक रह जाएगा। तो चलिए इसके इतिहास को जाने।                     इतिहास     ऋग्वैदिक काल  केे प्रथम चरण में समाज तीन वर्णों (वर्गों) में विभाजित था, ये तीनों वर्ण थे ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य। उस समय शूद्र वर्ण की उत्पत्ति नहीं हुुई थी। परन्तु बाद में, ऋग्वेद के दसवें मंडल पुरुष सुक्त   में चार वर्णों (चतुर्वर्ण) की संकल्पना  की गई  तथा पहले  से ही विद्यमान तीनोों वर्णों  में एक और  वर्ण ‘शूद्र’ को जोड़ाा गया । इसके साथ ही समाज अब चार वर्णों  बंट गयाा जोो क्रमशः इस प्रकार था — ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। क्रमशः इ

ब्लू कार्बन (Blue Carbon)

 ब्लू कार्बन (Blue Carbon) क्या है ? पेड़-पौधों की ही तरह समुद्री वनस्पतियों/समुद्री परितंत्र द्वारा भी वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड तथा कार्बन के अन्य रुपों का अवशोषण कर लिया जाता है।  यही कार्बन जब समुद्री परितंत्र यथा मैंग्रोव वन, समुद्री घास बेडों, लवनीय दलदलों इत्यादि में जमा होता रहता है तो वह ब्लू कार्बन कहलाता है।    इस प्रकार, कार्बन का अवशोषण करके समुद्री वनस्पतियां वातावरण को स्वच्छ रखती है तथा कार्बन सिंक (Carbon Sink) का कार्य करती है।

ग्रीन कार्बन (Green Carbon)

 ग्रीन कार्बन (Green Carbon) क्या है ? प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया के दौरान पेड़-पौधे वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड (CO 2 ) को ग्रहण करके आक्सीजन (O 2 ) छोड़ते हैं। इस प्रकार, पेड़-पौधे कार्बन सिंक का कार्य करते हैं तथा वातावरण को शुद्ध रखते हैं। यह कार्बन डाइऑक्साइड पेड़-पौधों की जड़, तना एवं मिट्टी में संग्रहित होता रहता है। .... पत्तियों, जड़, तने, तथा मिट्टी मेंं संग्रहित यही कार्बन डाइऑक्साइड ग्रीन कार्बन कहलाता है।